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लेखनी प्रतियोगिता -12-Jun-2023💐 प्रकृति में चेतना 💐


सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
विषय:- 🌹 स्वैच्छिक 🌹
शीर्षक -- 🙏 प्रकृति में चेतना 🙏
दिनांक -- १२.०६.२०२३
दिन -- सोमवार 
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अरुणिमा  बिखेरे  अंशुमाली, अंबर हुआ  प्रदीप्तमान।
प्रकृति में  चेतना  जागृत हुई, उर हो चुका  प्रकाशमान।।

मंद मंद  पवन  का  आँचल, मातृत्व  जीवन का  भान।
प्रकृति बदले स्वरुप निरंतर, रूह का ना होता अवसान।।

कानन सहगमन आलिंगन, उत्सुकता प्रेमपाश मन में।
खग सम पयोधर विचरण करे, लिप्सा उन्मुक्त गगन में।।

कल कल बहती  निर्झर की धारा, सुर सजाते  मन में।
स्वच्छ धवल  अविरल प्रवाह, ना रहे मोह के  बंधन में।।

चिरस्थायी अडिग  गिरिराज तू, हृदय ना  होत अधीर।
तपस पावस में ना डिगे, झंझावात लगे शीतल समीर।।

पारावार का विस्मित रंग, शांतचित्त आवेशरहित नीर।
असंख्य माणिक्यों  का स्वामित्व, प्रवृत्ति  अति गंभीर।।

हरीतिमा चादर  धारित अरण्य, जलप्रपात लगे साज़।
चहुंओर  श्रृंखलाबद्ध शृंग , अवलोकन सकल समाज।।

ध्यानमग्न आशुतोष सिर सजे, जलाभिषेक का ताज।
चरण पखारूँ सिंधु बन, करूँ निज किस्मत पर नाज़।।

अद्भुत छटा देख पादप मुस्काया, ज्यूँ सकुचाती दारा।
सुमन हिय  प्रस्फुटित हो गया, देखकर रंगीन नज़ारा।।

काश 'मधुकर' जीवन को भी, मिल जाता वैभव सारा।
नज़र  कभी  ना  लगे  उसे, जो लगे  नज़रों  को  प्यारा।।

                  🙏🌷 मधुकर 🌷🙏
(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
            (स्वरचित सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)

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9 Comments

Muskan khan

13-Jun-2023 04:45 PM

Nice

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बहुत ही मोहक और सजीव चित्रण

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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

13-Jun-2023 01:24 PM

जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय 🙏🙏

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Punam verma

13-Jun-2023 01:12 AM

Very nice

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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

13-Jun-2023 01:25 PM

जी हृदय से आभार आपका आदरणीया 🙏🙏

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